मैं भी तो आजाद पंछी हूँ गगन का,
कैद मुझे कब तक रखोगे ?
खैर उङान है मेरी तो हौंसलों की,
गर,पर भी जो मेरे कुतरोगे।।
बंदिशें कब तक रोक पाएँगी,
बंधन भी कदम जकङ ना पाएँगें,
हाँ, पर प्यार और स्नेह से,
भले ही कदम कुछ देर ठहर जाएँगे।
पर इस ठहराव को तुम नाम ना देना साहिल का,
क्योंकि मैं तो आजाद पंछी हूँ गगन का।
कैद मुझे कब तक रखोगे ?
खैर उङान है मेरी तो हौंसलों की,
गर,पर भी जो मेरे कुतरोगे।।
मेरी परवाज भी है बेखौफ,
वैसे ही जैसे की तुम हो।
समझते हो मुझको कमतर,
जाने किस अना में गुम हो।
है तुम्हारी ही तरह मुझको भी हक लगन का,
क्योंकि मैं भी तो आजाद पंछी हूँ गगन का।
कैद मुझे कब तक रखोगे ?
खैर उङान है मेरी तो हौंसलों की,
गर,पर भी जो मेरे कुतरोगे।।
मेरी भी तो है आधी जमीन,
और आधा आसमान है मेरा,
मैंने भी ख्वाब सजाए हैं दिल में,
जैसे तुझे जगाए है सपना तेरा।
तेरी ही तरह मैं भी किस्सा हूँ रब का,
क्योंकि मैं भी तो आजाद पंछी हूँ गगन का।
कैद मुझे कब तक रखोगे ?
खैर उङान है मेरी तो हौंसलों की,
गर,पर भी जो मेरे कुतरोगे।।
तुफानों को झेल सकती हूँ मैं भी
अकेले अपने दम पर।
तेरी ही तरह हिम्मत मिली है मुझको,
ना खुद पर अंधा दंभ कर।।
बोलने को मेरे यूँही नाम ना दो बहस का,
क्योंकि मैं भी तो आजाद पंछी हूँ गगन का,
कैद मुझे कब तक रखोगे ?
खैर उङान है मेरी तो हौंसलों की,
गर, पर भी जो मेरे कुतरोगे।।
कैद मुझे कब तक रखोगे ?
खैर उङान है मेरी तो हौंसलों की,
गर,पर भी जो मेरे कुतरोगे।।
बंदिशें कब तक रोक पाएँगी,
बंधन भी कदम जकङ ना पाएँगें,
हाँ, पर प्यार और स्नेह से,
भले ही कदम कुछ देर ठहर जाएँगे।
पर इस ठहराव को तुम नाम ना देना साहिल का,
क्योंकि मैं तो आजाद पंछी हूँ गगन का।
कैद मुझे कब तक रखोगे ?
खैर उङान है मेरी तो हौंसलों की,
गर,पर भी जो मेरे कुतरोगे।।
मेरी परवाज भी है बेखौफ,
वैसे ही जैसे की तुम हो।
समझते हो मुझको कमतर,
जाने किस अना में गुम हो।
है तुम्हारी ही तरह मुझको भी हक लगन का,
क्योंकि मैं भी तो आजाद पंछी हूँ गगन का।
कैद मुझे कब तक रखोगे ?
खैर उङान है मेरी तो हौंसलों की,
गर,पर भी जो मेरे कुतरोगे।।
मेरी भी तो है आधी जमीन,
और आधा आसमान है मेरा,
मैंने भी ख्वाब सजाए हैं दिल में,
जैसे तुझे जगाए है सपना तेरा।
तेरी ही तरह मैं भी किस्सा हूँ रब का,
क्योंकि मैं भी तो आजाद पंछी हूँ गगन का।
कैद मुझे कब तक रखोगे ?
खैर उङान है मेरी तो हौंसलों की,
गर,पर भी जो मेरे कुतरोगे।।
तुफानों को झेल सकती हूँ मैं भी
अकेले अपने दम पर।
तेरी ही तरह हिम्मत मिली है मुझको,
ना खुद पर अंधा दंभ कर।।
बोलने को मेरे यूँही नाम ना दो बहस का,
क्योंकि मैं भी तो आजाद पंछी हूँ गगन का,
कैद मुझे कब तक रखोगे ?
खैर उङान है मेरी तो हौंसलों की,
गर, पर भी जो मेरे कुतरोगे।।
1 comments:
comments👍👍👍👍👌👌👌👌👌mast....
ReplyHamm bhi aajad panchi hai gaggan ke....