चाह जिंदगी की

ख्वाहिशों का जहाँ चाहिए तो
           कीमतें तो चुकानी ही होंगी,
खैरात तो सदा ही खुद्दारी का कत्ल करती आई हैं,
          चमत्कारों की उम्मीद पर मत जीना,
शिद्दत ही दरिया का रूख बदलती आई है।
          ये मुकाम लुट गया तो क्या हुआ,
जिंदगी ताउम्र मुकामों के जहाँ बसाती आई है,
           बह जाने दो दर्द की स्याह परत को अश्कों में,
क्योंकि धुली हुई नजरें ही नया साहिल दिखाती आई हैं।
            सबके सपनों को तोङा है तकदीर की बेवफाई ने,
फिर भी चाहतें ही लकीर का लिखा बदलती आई हैं,
             अफसोस ना कर दिल-ए-नादान,
एक तेरी ही गलियों में तबाही नहीं आई है।
              चैन तो कफन ही दिलाता है,
जिंदगी तो युँही बेचैनियों की तङप देती आई है,
              जी ले इसे जी भर कर ए दोस्त,
जैसा तूने चाहा जिंदगी तो वैसी ही नजर आई है।
              मुस्कुराहट होगी लबों पर, आँखों में होगी चमक,
जब अनथक कोशिशों में, संतुष्टी नजर आई है।।

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5 comments

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March 3, 2019 at 5:51 PM delete

Bahan awesome.... superbbbbbbbbbbbb 👌🏾😘😘😘😘😍😘

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March 3, 2019 at 11:40 PM delete

Great wording ... 👌👏

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March 14, 2019 at 6:07 AM delete

आप दोनों का बहुत धन्यवाद मेरी हौसला-अफजाई का

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May 10, 2019 at 8:09 AM delete

Osm....... Wording really... 😍😍😍😍

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