छूने को अपना आसमान,
भर ले रे अकेले ही उङान।
माना ना है कोई संगी-साथी तेरा,
ना ही है कोई तेरी पहचान।।
जो बेआबरु हो चले हो हर दर से,
तो बना दो अपना एक जहान।
मिली हमेशा जो समझौतों की दुत्कार,
तो बन जा अब खुद ही अपना मान।।
घुट-घुट कर जीते रहे सारी उम्र,
फिर भी साबित ना कर पाए अपना ईमान।
है तू तो सितारा-ए-गर्दिश,
लगे हैं होने पर सवालिया निशान।।
मिलेगा हर सवाल को जवाब,
होगा जब तेरी कामयाबियों का बखान।
हैं हँसी के पात्र जिनके लिए आज,
कल को वो बताएँगे अपना अभिमान।।
माना गिरे नजरों से, मिली जो हर बार हार,
तिरस्कार भरी नजरों में भी झलकेगा सम्मान।
माना गुनेहगार है तेरी सोच आज,
कल उसी हर बात पर होगा सबको गुमान।।
धिक्कारने वाले तुझे आज,
कहकर पुकारेंगे कल महान।
छूने को अपना आसमान ,
बस एक बार फिर भर तो सही अकेले ही उङान।।
माना ना है कोई संगी-साथी तेरा,
होगी एक दिन तेरी भी एक पहचान।।
भर ले रे अकेले ही उङान।
माना ना है कोई संगी-साथी तेरा,
ना ही है कोई तेरी पहचान।।
जो बेआबरु हो चले हो हर दर से,
तो बना दो अपना एक जहान।
मिली हमेशा जो समझौतों की दुत्कार,
तो बन जा अब खुद ही अपना मान।।
घुट-घुट कर जीते रहे सारी उम्र,
फिर भी साबित ना कर पाए अपना ईमान।
है तू तो सितारा-ए-गर्दिश,
लगे हैं होने पर सवालिया निशान।।
मिलेगा हर सवाल को जवाब,
होगा जब तेरी कामयाबियों का बखान।
हैं हँसी के पात्र जिनके लिए आज,
कल को वो बताएँगे अपना अभिमान।।
माना गिरे नजरों से, मिली जो हर बार हार,
तिरस्कार भरी नजरों में भी झलकेगा सम्मान।
माना गुनेहगार है तेरी सोच आज,
कल उसी हर बात पर होगा सबको गुमान।।
धिक्कारने वाले तुझे आज,
कहकर पुकारेंगे कल महान।
छूने को अपना आसमान ,
बस एक बार फिर भर तो सही अकेले ही उङान।।
माना ना है कोई संगी-साथी तेरा,
होगी एक दिन तेरी भी एक पहचान।।
1 comments:
commentsYes u r right..... 👍👍👍👍
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