बस वही पुरानी सुनसान राहें थी,
था बस वही खालीपन और कड़कती धूप।।
एक उसका ही साया बचा था,
भस्म हो चुका था जीवन का हर रुप।
कदम थके थे और पैरों में पड़े थे छाले,
फिर भी नजर नहीं आता था हमसाया स्वरूप।
काली-सफेद हो चुकी झुलसकर सब दिशाएँ,
बस एक बरसात की चाह में दुआएँ भी की थी खूब।
फिर भी बस वही पुरानी सुनसान राहें थी,
था बस वही खालीपन और कड़कती धूप।।
सोचा हर बार चलो करते हैं फिर नया आगाज,
नए सुरों से सजाते हैं फिर से एक नया साज।
खुद को हर बार दोहराने से, पर होनी ना आई बाज,
हर बार वही गलियारे क्यूँ मिलते हैं, ना समझे राज।।
बहुत सजाई उम्मीदें फिर भी हालात रहे वैसे ही कुरूप,
और बस वही पुरानी सुनसान राहें थी,
था बस वही खालीपन और कड़कती धूप।।
बेजान हो चुके जज्बातों में डालने में लगे रहे जान,
पर फरिश्ता बनने की चाह में बनते गए शैतान।
एकरंगी जीवन में औरों के इंद्रधनुष देखकर हुए हैरान,
हर बार की नाकामियों में ढूँढते रह गए जीत के निशान।।
रेत के महलों सा ढहता देखा हर सपना खूब,
बस वही पुरानी सुनसान राहें थी,
था बस वही खालीपन और कड़कती धूप।।
था बस वही खालीपन और कड़कती धूप।।
एक उसका ही साया बचा था,
भस्म हो चुका था जीवन का हर रुप।
कदम थके थे और पैरों में पड़े थे छाले,
फिर भी नजर नहीं आता था हमसाया स्वरूप।
काली-सफेद हो चुकी झुलसकर सब दिशाएँ,
बस एक बरसात की चाह में दुआएँ भी की थी खूब।
फिर भी बस वही पुरानी सुनसान राहें थी,
था बस वही खालीपन और कड़कती धूप।।
सोचा हर बार चलो करते हैं फिर नया आगाज,
नए सुरों से सजाते हैं फिर से एक नया साज।
खुद को हर बार दोहराने से, पर होनी ना आई बाज,
हर बार वही गलियारे क्यूँ मिलते हैं, ना समझे राज।।
बहुत सजाई उम्मीदें फिर भी हालात रहे वैसे ही कुरूप,
और बस वही पुरानी सुनसान राहें थी,
था बस वही खालीपन और कड़कती धूप।।
बेजान हो चुके जज्बातों में डालने में लगे रहे जान,
पर फरिश्ता बनने की चाह में बनते गए शैतान।
एकरंगी जीवन में औरों के इंद्रधनुष देखकर हुए हैरान,
हर बार की नाकामियों में ढूँढते रह गए जीत के निशान।।
रेत के महलों सा ढहता देखा हर सपना खूब,
बस वही पुरानी सुनसान राहें थी,
था बस वही खालीपन और कड़कती धूप।।
2 comments
commentsGreat... Go ahead 👍
ReplyThanks dear..!! All this appreciation is much needed for that.. Keep supporting dear
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