दुकानदार ने नए ग्राहक से पूछा-"हाँ जी मैडम! बोलिए, क्या चाहिए आपको?"
" जी, मैं कुछ लेने नही देने आई हूँ।" ये कहते-कहते नई ग्राहक पर्स से पैसे निकालने लगी-"आपको अगर याद हो तो, क्योंकि बहुत समय हो गया उन बातों को। मैं, अपने माँ-पापा, भाई-भाभी और दो बच्चों के साथ दीवाली की खरीदारी करने आए थे आपकी दुकान पर। उस दिन बहुत भीङ थी आपकी दुकान पर। हमारे दोनों बच्चे आपकी दुकान पर रखे खिलौनों को देखकर बहुत मचल गए थे और बहुत रोने लगे थे ,तो हमको दो खिलौने लेने पङे थे। एक खिलौने का दाम 90 रुपए था। तो कुल 180 रुपए हुए ,मैं वो लौटाने आई हुँ।"
दुकानदार ने एकदम से कहा- "और वो खिलौने दो बङी कारें थी।"
"हाँ जी,वो दरअसल हमने जब घर जाकर देखा कि क्या-क्या लाए हैं और जब सब पैसों का हिसाब लगाया तो पता चला उन खिलौनों के पैसे तो दिए ही नही।" नई ग्राहक ने बताया।
"क्या बात है मैडम!"- दुकानदार की पत्नी ने हैरानी और खुशी के मिले-जुले भाव में कहा- "आप इतने दिनों बाद भी, वो पैसे लौटाने आए हो। ऐसा ग्राहक पहली बार देखा है हमने। हाँ ऐसे ग्राहक जरुर देखे थे, जो पुराना माल हमने एक तरफ रखा है ना,उसको आँख बचाकर उठा कर ले जाते हैं। लोग सही कहते हैं-दुनिया में ईमानदार लोग भी होते हैं, इतने साल काम करते हुए हो गए ,पर देखा आज पहली बार है। आप कुछ लो ना मैडम जी।"
"नहीं मैं तो बस पैसे लौटाने आई थी।सब कहते हैं जमाना बङा खराब है,पर जमाना तो हमसे है ना।तो मैं नही चाहती कि मैं खराब जमाना बनाने में सहभागी बनूँ। बस यही काम था, मैं चलती हूँ।" नई ग्राहक ने जाते हुए कहा।
"धन्यवाद मैडम, बहुत-बहुत धन्यवाद।ये बात हमेशा याद रहेगी कि दुनिया में सिर्फ बेईमान लोग नही होते और जमाना खुद खराब नहीं होता, हम बना देते हैं। फिर से बहुत धन्यवाद।" दुकानदार ने बङे आदर के साथ कहा।
" जी, मैं कुछ लेने नही देने आई हूँ।" ये कहते-कहते नई ग्राहक पर्स से पैसे निकालने लगी-"आपको अगर याद हो तो, क्योंकि बहुत समय हो गया उन बातों को। मैं, अपने माँ-पापा, भाई-भाभी और दो बच्चों के साथ दीवाली की खरीदारी करने आए थे आपकी दुकान पर। उस दिन बहुत भीङ थी आपकी दुकान पर। हमारे दोनों बच्चे आपकी दुकान पर रखे खिलौनों को देखकर बहुत मचल गए थे और बहुत रोने लगे थे ,तो हमको दो खिलौने लेने पङे थे। एक खिलौने का दाम 90 रुपए था। तो कुल 180 रुपए हुए ,मैं वो लौटाने आई हुँ।"
दुकानदार ने एकदम से कहा- "और वो खिलौने दो बङी कारें थी।"
"हाँ जी,वो दरअसल हमने जब घर जाकर देखा कि क्या-क्या लाए हैं और जब सब पैसों का हिसाब लगाया तो पता चला उन खिलौनों के पैसे तो दिए ही नही।" नई ग्राहक ने बताया।
"क्या बात है मैडम!"- दुकानदार की पत्नी ने हैरानी और खुशी के मिले-जुले भाव में कहा- "आप इतने दिनों बाद भी, वो पैसे लौटाने आए हो। ऐसा ग्राहक पहली बार देखा है हमने। हाँ ऐसे ग्राहक जरुर देखे थे, जो पुराना माल हमने एक तरफ रखा है ना,उसको आँख बचाकर उठा कर ले जाते हैं। लोग सही कहते हैं-दुनिया में ईमानदार लोग भी होते हैं, इतने साल काम करते हुए हो गए ,पर देखा आज पहली बार है। आप कुछ लो ना मैडम जी।"
"नहीं मैं तो बस पैसे लौटाने आई थी।सब कहते हैं जमाना बङा खराब है,पर जमाना तो हमसे है ना।तो मैं नही चाहती कि मैं खराब जमाना बनाने में सहभागी बनूँ। बस यही काम था, मैं चलती हूँ।" नई ग्राहक ने जाते हुए कहा।
"धन्यवाद मैडम, बहुत-बहुत धन्यवाद।ये बात हमेशा याद रहेगी कि दुनिया में सिर्फ बेईमान लोग नही होते और जमाना खुद खराब नहीं होता, हम बना देते हैं। फिर से बहुत धन्यवाद।" दुकानदार ने बङे आदर के साथ कहा।